Blog
Trending

“अस्कोट-आराकोट अभियान” दल पहुंचा रवांई घाटी के नन्दगांव, आज डायट बड़कोट में होगा स्वागत, संवाद कार्यक्रम।

अस्कोट-आराकोट यात्रा का प्रारम्भ 25 मई 2024, 11 बजे सुबह नेपाल बॉर्डर पर लगे अस्कोट, पांगू से हुई और यह यात्रा 8 जुलाई 2024 को हिमाचल प्रदेश से लगे आराकोट में समाप्त होगी।

इस पैदल यात्रा के दो दल नन्दगांव और तीसरा दल 01 जुलाई को हनुमानचट्टी सकुशल पहुंच गये हैं…. जिसके बाद आज 02 जुलाई को डायट बड़कोट में स्वागत, संवाद एवं यात्रा के अनुभवों को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा तथा 03 जुलाई को पुरोला विकासखंड के चंदेली-नेत्री गांव पहुंचेगा।

25 मई 2024 से आरंभ हुयी अस्कोट-आराकोट अभियान पचास सालों की छठी यात्रा है। इस बार अभियान की केंद्रीय विषयवस्तु या थीम स्रोत के संगम पर रखी गई है ताकि नदियों से समाज के रिश्ते को गहराई से समझा जा सके और जलागमों के मिजाज को समग्रता में जाना जा सके।

अभियान में उत्तराखण्ड की विभिन्न संस्थाओं के कार्यकर्ता, विश्वविद्यालयों के शोधार्थी और प्राध्यापक, उत्तराखंड-हिमाचल के इंटर कालेजों, हाईस्कूलों के विद्यार्थी और शिक्षक, पत्रकार, लेखक, रंगकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा देश के अन्य हिमालय प्रेमी भी शिरकत करते हैं।

यात्रा का उद्देश्य:-
इस यात्रा में यह समझने की कोशिश होगी कि पिछले पाँच दशकों में और खास कर राज्य बनने के ढाई दशक बाद उत्तराखण्ड का प्राकृतिक चेहरा-जल, जंगल, जमीन, खनन, बाँध, सड़क आदि कितना घटा है? अर्थ व्यवस्था किस बिन्दु पर है? क्या सामाजिक चेतना में कोई बदलाव आया है ? दलित, अल्पसंख्यकों की स्थिति कैसी है? सामाजिक-राजनैतिक चेतना में कितना इजाफा हुआ है? राज्य में आर्थिक और सांस्कृतिक घुसपैठ कितनी बढ़ी है? पलायन का क्या रूप है? गाँव के हाल कितना बदले हैं? शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, पानी, शराब तथा महिलाओं-बच्चों सहित पर्वतीय जीवन के अन्य पक्षों की क्या स्थिति है? इन्टरनेट की पहुच कहाँ तक हुई है?

जल, जंगल तथा जमीन के मामले के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय ऋणों से खड़ी की गयी योजनाओं की भी इस दौरान पड़ताल होगी और विभिन्न संसाधनों को राज्य द्वारा अपने हाथों में ले लिये जाने को गम्भीरता से समझने का प्रयास होगा। नई आर्थिक नीति तथा उदारीकरण के प्रभावों के साथ-साथ उत्तराखण्ड की जैवविविधता तथा पारम्परिक ज्ञान को जानने की भी कोशिश होगी।
माफियाओं की बढ़ती शक्ति, भ्रष्टाचार तथा सामाजिक अपराध जैसे पक्ष भी देखे जायेंगे। चिपको, नशा नहीं रोजगार दो, हिमालय बचाओ तथा पृथक उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के प्रभाव तथा उनमें जन हिस्सेदारी के स्वरूप को समझने तथा गैर सरकारी संस्थाओं के योगदान की समीक्षा का प्रयास भी होगा।

इस बार 25 मई से 08 जुलाई 2024 के बीच छठे अस्कोट-आराकोट अभियान का पहला चरण अधिक व्यापक रूप से आयोजित किया गया है। साल के अंतिम महीनों में टनकपुर से डाकपत्थर (तराई-भाबर-दून) यात्रा को अभियान के दूसरे चरण के रूप में आयोजित करने की योजना है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button