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आस्था: रवांई का प्रसिद्ध मेला “डांडा देवराणा” में रुद्रेश्वर महाराज आज देंगे अपने भक्तों को दर्शन।

रवांई घाटी के 65 गांवों के ईष्ट, आराध्य देव श्री रुद्रेश्वर महाराज 22 जून को अपने बजलाड़ी थान से एक वर्ष पश्चात गर्भ-गृह से बाहर निकले और उपस्थित सभी अनुयायियों को अपना आशीर्वाद दिया।

65 गांवों में श्री रुद्रेश्वर महादेव के चार मुलथान इस प्रकार हैं- देवलसारी, कंडांव, तिंयां, बजलाड़ी। जहां अपने गर्भ-गृह में रुद्रेश्वर महाराज बारी-बारी से क्षेत्र भ्रमण के साथ ही एक वर्ष के लिए विराजते हैं।

जिसके बाद आज 23 जून को रवांई के प्रसिद्ध “डांडा देवराणा” मेले में श्री रुद्रेश्वर महादेव अपने 65 गांवों के श्रद्धालुओं और क्षेत्र के सभी अनुयायियों को वर्ष में सिर्फ एक बार सघन देवदार के जंगलों के बीच स्थित देवराणा मंदिर से दर्शन देते हैं और यही इस मेले का सबसे बड़ा मातम्य माना जाता है।

यहीं से श्री रुद्रेश्वर महाराज अपने 65 गांवों में होने वाले मेलों (थोले/जातर) के माध्यम से अपनी सम्रांत जनता-जनार्दन को आशीर्वाद देते हैं। 65 गांवों में महाराज का भ्रमण कुछ इस प्रकार है। 👇

रवांई घाटी में होने वाले इन मेलों-थौलों में रवांई की जान बसती है, ये मेले रवांई के विभिन्न देवी-देवताओं की आस्था और विश्वास के केंद्र होते हैं। इन मेलों की वजह से रवांई की संस्कृति-सभ्यता, वेशभूषा, खान-पान और यहां के हमारे रीति-रिवाज व रिश्ते-नाते जीवित हैं।

रुद्रेश्वर महाराज के देवमाली अमित नौटियाल व पुजारी अनुप नौटियाल द्वारा मिली जानकारी के अनुसार श्री रुद्रेश्वर महाराज इस बार 65 गांवों के भ्रमण के पश्चात विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ तीन धाम की यात्रा के पश्चात अपने देवलसारी थान के गर्भ-गृह में पुनः पूर्व की भांति विराजमान होंगे।

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