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“बाल व्यास” आयुष कृष्ण नयन: रुद्रेश्वर महादेव का वरदान या देवीय शक्तियों की कृपा दृष्टी।

खेल-कूद के उम्र में "व्यास पीठ" से लाखों लोगों को बाँट रहे वेद-पुराणों का ज्ञान।

जीवनी:-
“बाल व्यास” “आयुष कृष्ण नयन महाराज” का जन्म 05 मार्च 2006 को “उत्तराखंड राज्य” के “उत्तरकाशी जनपद” के “यमुना तट” पर बसे “नौगांव विकासखंड” के कंडांउ गांव से कुछ मील दूर “सारी गाड़” नामक स्थान पर एक “गौशाला” में हुआ।

बाल व्यास आयुष के “पिता दिनेश नौटियाल” एक सरल, मृदुभाषि स्वभाव के व्यक्ति हैं और पेशे से एक शिक्षक हैं। जब हम आयुष के पिता से आयुष के बारे में जानने का प्रयास करते हैं तो वह बताते हैं कि, “आयुष की माँ नीलम” के गर्भ में जब आयुष रहा तो, प्रसव पीड़ा के दौरान पति दिनेश नौटियाल उन्हे देहरादून डॉक्टर के पास लेकर जा रहे थे, लेकिन अत्यधिक प्रसव पीड़ा के कारण नौगांव के सारी गाड़ नामक स्थान पर उनके मामा की गौशाला में ही उन्हे ठहराया गया, जहां आयुष का जन्म हुआ।

आयुष के दादा “महिमा नन्द नौटियाल” 65 गांवों के आराध्य, क्षेत्रीय ईष्ट “रुद्रेश्वर महादेव के पुजारी” हैं और आयुष की माँ गर्भावस्था में पूजा-पाठ व पुराणों में बहुत रुचि रखती थी व अपने ससुर से वेदों, पुराणों की कथाएं सुना करती थी, आयुष के पिता बताते हैं की, आयुष का जन्म उनके घर होना “रुद्रेश्वर महादेव” की ही कृपा है।

तीन वर्ष की उम्र में आयुष अपने दादा के साथ घर पर पूजा-पाठ करते समय बड़ी रुचि रखने लगा और दादा जी से रोज शाम को नई-नई कथाएं सुने बिना नहीं सोता था।

कुछ समय बाद आयुष का दाखिला “जाग्रति पब्लिक स्कूल” नौगांव में किया लेकिन, स्कूल में पढ़ने की बजाय आयुष शिक्षकों को पुराण व कथाएं सुनाने लग जाते, और घर आते तो आयुष पिता से वृंदावन जाने की बात कहते थे, लेकिन आयुष की उम्र देख पिता उनकी बात कुछ बहाने से टाल देते थे। लेकिन एक दिन आयुष अपने पिता से कहते हैं की कभी स्कूल से ही मैं सीधा वृंदावन चला जाऊंगा।

अब पिता सोचने पर विवश हो गये और भगवान का स्मरण कर मन बना लिया कि आयुष का वृंदावन जाना “प्रभु इच्छा” ही है।

30 अप्रैल 2015 को पिता दिनेश और माँ नीलम आयुष के साथ वृंदावन गए। जहां सबसे पहले कान्हा जी के दर्शन के बाद “शालिग्राम चित्रकुट” आश्रम में सन्त श्री रामकृपाल दास चित्रकुट की देख-रेख में आयुष विद्याध्ययन करने लगे।

आश्रम के कठोर नियमों का बड़ी सहजता से पालन के साथ ही आयुष ने बाल्यकाल में ही अनेक संतों का आशीर्वाद प्राप्त कर तीन वर्षों में पूर्ण होने वाले पाठयक्रम को लगभग दस माह में ही पूर्ण कर लिया था।

आयुष ने रामायण, महाभारत सहित श्रीमदभागवत महापुराण के बारह हजार (12000) से अधिक श्लोकों को कंठस्थ कर, अपनी पहली श्रीमद्भागवत कथा 9 वर्ष की उम्र में ही 3 मार्च 2016 को विभिन्न विद्वानों की उपस्थिति में श्री वृंदावन धाम में सम्पन्न की। जहां उनके गुरु ने आयुष नौटियाल को “आयुष कृष्ण नयन” नाम देकर आशीर्वाद दिया।

आयुष ने छोटी सी उम्र में सम्पूर्ण भारत में कथाओं द्वारा भगवान की भक्ति के लिए प्रेरित करने एवं समाज में विभिन्न प्रकार की कुरीतियों को समाप्त करने के संकल्प के साथ ही दहेज, अशिक्षा, बालिका स्वास्थ्य, प्रकृति में पेड़ पौधे, माता-पिता की सेवा, वृद्धजनों की सेवा, दिव्यांग सेवा तथा सभी प्रकार के व्यसनों (शराब, तंबाकू आदि) से दूरी के लिए अपनी सभी कथाओं के वक्तब्य का एक हिस्सा रखते हैं और इस छोटी सी उम्र में समाज को जागरूक करने का अथक प्रयास के साथ ही कथावाचन के किसी भी प्रकार के व्यवसायीकरण का सख्त विरोध करते हैं।

उत्तरकाशी जनपद के बड़कोट यमुना तट पर बसे तटेश्वर महादेव की जन्म स्थली डख्याटगांव के तटाऊ नामक स्थान पर जब बाल व्यास “आयुष कृष्ण नयन महाराज” व उनके पिता दिनेश नौटियाल से टीम “न्यूज़ पहाड़ सन्देश” की पहली भेंट होती है तो हमारी इच्छा इस 18 वर्षीय बालक के बारे में जानने की जागरित हुयी। जहां “बाल व्यास” अपनी 273 कथाएं पूर्ण कर चुके थे।

उम्मीद है की “पहाड़ सन्देश” के सभी पाठकों/दर्शकों को यह लेख पसंद आया होगा। साथ ही समय-समय पर “पहाड़ सन्देश” की टीम अपने पाठकों के लिए इसी प्रकार के लेख लिखने का प्रयास करता रहेगा।

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