
लगातार तीन प्रयास किये गये बीना बेकअप के-
सीख:- चौथा प्रयास इन्दौर से एयर लिफ्ट होने वाली ऑगर ड्रिलिंग मशीन के बाद भी कोई बेकअप विकल्प नहीं रखा है।
प्रथम प्रयास- जेसीबी मशीन और पॉकलेंड की मदद से सुरंग खोलना।
नतीजा- टनल में ऊपर से आ रहे मलवे के कारण प्रयास विफल।
बेकअप- कुछ भी नहीं, जिसके कारण मजदूरों को रेस्क्यू करने में और समय लगा।
दुसरा प्रयास:– ड्रीलिंग मशीन मंगवाई जो तकनीकी खराबी के कारण जबाब दे गयी।
नतीजा:-मशीन सुरंग में कार्य करने से पहले ही खराब होने के कारण 40 जिंदगियों के रेस्क्यू में और समय 3 से 4 दिन बीत गये।
बेकअप:– कुछ भी नहीं
तीसरा प्रयास:– “वायु सेना” के जहाजों से चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर एक और नई “ऑगर ड्रिलिंग मशीन” एयर लिफ्ट की जाती है, और उसे स्टॉल करने में 24 घंटे से भी अधिक समय लग जाता है।
नतीजा:– 22 मीटर पाईप पुस करने के बाद, जब मशीन दम तोड़ देती है तब बेकअप का ख्याल आता है, और तुरंत एक और मशीन को एयर लिफ्ट करने की बात कही जाती है।
एक बड़ा प्रश्न:- यदि इन मजदूरों कि जगह “भारत सरकार” का कोई बड़ा अधिकारी, नेता या मंत्री होता, क्या तब भी शासन-प्रशासन बीना बेकअप के कार्य कर रहा होता ?
बताया जा रहा है कि सुरंग के अन्दर मशीन के वाइब्रेशन के कारण रेस्क्यू कार्य रोका गया है, लेकिन सूत्रों कि खबर यह भी है कि मशीन में तकनीकी खराबी के कारण फंसे मजदूरों की मुश्किल बढ़ती जा रही है। मौके पर डीएम अभिषेक रूहेला और एसपी अर्पण यदुवंशी भी लगातार रेस्क्यू कार्यों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
सिलक्यारा टनल में फंसे 40 मजदूरों को सकुशल निकालने का जारी रेस्क्यू कार्य रोक दिया गया है। डॉ. अंशु मनीष खलको निदेशक NHIDCL ने शाम को मीडिया से बात करते हुए बताया कि सुरंग के अन्दर मशीन के वाइब्रेशन के कारण रेस्क्यू कार्य रोका गया है, ताकि मलबा और न गिरे। मशीन को रेस्ट देने के लिहाज से भी काम रोका गया है।
अधिकारियों के मुताबिक सिर्फ 22 मीटर पाइप ही सूरंग में एस्केप हो पाया है। इस बीच बैकअप के तौर पर एक और मशीन भी इंदौर से एयरलिफ्ट से मंगवाई गई है। जो शनिवार सुबह तक सिलक्यारा पहुंचाई जायेगी। ऐसा एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों ने बताया है।