
Uttarkashi, Purola:- “पर्यावरण संरक्षण विशेष” 11 दिसंबर को “विनयार्ड क्रिश्चियन अकैडमी” विद्यालय पुरोला के छात्र-छात्राओं द्वारा पर्यावरण प्रदूषण के संरक्षण से संबंधित विभिन्न मॉडल व चार्ट बनाकर प्रस्तुतियां दी गयी।
जिसमें पुरोला नगर का कुड़ा निस्तारण स्थल एक बड़ी समस्या बना हुआ है। कूड़ा निस्तारण स्थल पर पुरे नगर का कुड़ा डाला जा रहा है। जिससे स्थानीय लोग, जंगल, नदी, और आस-पास की बस्ती, जंगली जानवर, आवारा पशु, पक्षियां और पर्यावरण आदि इससे बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
इस पूरे दृश्य को देख विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने इसका एक मॉडल तैयार किया और दर्शाया कि किस प्रकार हमारे नगर के कूड़े-कचरे से प्रदुषण और बिमारियों का जन्मदाता बन रहा है, छात्र-छात्राओं द्वारा बचाव के लिए इस पर विभिन्न सूझाव रखे गये और इससे होने वाले दुष्प्रभावों पर भी चर्चा की गयी। प्रस्तुतियों के कुछ अंश वीडियो के माध्यम से आपको भी दिखाने का प्रयास कर रहे हैं।
इन्हें देखकर लगता है कि विद्यालय के बच्चे भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति अत्यंत संवेदनाशील व गंभीर हैं।
ये बच्चे आने वाले समय के लीडर हो सकते हैं, इनके जहन में पर्यावरण के प्रति प्रेम उत्पन्न करने का विद्यालय द्वारा भी अथक प्रयास किया जा रहा है। इस प्रयास से आने आने वाले समय में सुखद परिणाम मिलेंगे।
आपको अवगत होगा कि, भारत में पर्यावरण संरक्षण का इतिहास बहुत पुराना है। हडप्पा संस्कृति पर्यावरण से ओतप्रोत, तो वैदिक संस्कृति भी पर्यावरण संरक्षण हेतु पर्याय बनी। भारतीय मनीषियों ने समुची प्रकृति व सभी प्राकृतिक शक्तियों को देवता का स्वरूप माना है। ऊर्जा के स्रोत सूर्य को देवता मानकर ‘सूर्य देवो भव’ कहकर पुकारा है।
जल को भी देवता माना गया है तथा सरिताओं को जीवन दायिनी कहा गया है। इसलिए प्राचीन संस्कृतियां सरिताओं के किनारे उपजीं व पनपी हैं।
भारतीय संस्कृति में केला, पीपल, तुलसी, बरगद, आम आदि पेड़ों की पूजा की जाती है।
किंतु स्वतंत्र भारत के लोगों में पश्चिमी प्रभाव, ओद्योगीकरण तथा जनसंख्या विस्फोट के परिणामस्वरूप तृष्णा जाग गई। जिसने देश में विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को जन्म दिया है।
जिसके कारण पर्यावरण की गुणवत्ता में निरंतर कमी आती गई। पर्यावरण की गुणवत्ता की इस कमी में प्रभावी नियंत्रण व प्रदुषण के परिपेक्ष्य में सरकार ने समय-समय पर अनेक कानून व नियम बनाए। इनमें से अधिकांश का मुख्य आधार प्रदूषण नियंत्रण व निवारण है।
ग्लोबल वार्मिंग व जलवायु संकट पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 1 दिसंबर 2023 को दुबई में काप-28 की एक उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी का घर है लेकिन वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में उसकी हिस्सेदारी 4 प्रतिशत से नीच बनी हुयी है।
इसीक्रम में विद्यालय परिवार कि ओर से छात्र-छात्राओं को पर्यावरण/जलवायु संरक्षण के लिए समय-समय पर विभिन्न माध्यमों से जागरूक कर अपनी जलवायु को स्वच्छ रखने की ओर प्रेरित किया जाता है।