
21वीं शताब्दी में भी ग्रामीण जानवरों की भांति जीवन जीने को मजबूर। आखिर 78 वर्षों से शासन करने वाली राजनैतिक पार्टियों व सरकारों का यह कैसा विकास ?
जहां नदियों-नालों को पार कर गांवों को जोड़ने वाले रास्तों पर इन 78 वर्षोंं में एक आरसीसी पुलिया ना बन पायी हो, वहाँ मानव जीवन का गुजर-बसर किन हालातों में होगा यह बड़ा चिंतनीय विषय है।
जबकि वर्तमान सरकार के नुमाइंदे विकास का रोना रो-रो कर थक नहीं रहें। आखिर ये कैसा विकास ?
जहां स्कूली छात्र, गर्भवती महिलाओं सहित पूरे गांव के ग्रामीणों को जान जोखिम में डाल आवा-जाही करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
यह उत्तरकाशी जनपद का वही विकासखंड मोरी है जहां एक ही नाले पर अनावश्यक रूप से दर्जनों पुल लगे हैं, और जहां जरूरत है वहाँ के हालात अगर दयनीय हैं। यह भ्रष्टाचार नहींं तो क्या है ?
अब जब मोरी विकासखंड के गांवों के युवा जागरूक हो रहे हैं और उस भ्रष्टाचार के खिलाफ बोल रहे हैं तो यहां के जनप्रतिनिधियों को वह सब रास नहीं आ रहा जिस वजह से भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही होने की बजाय जनप्रतिनिधियों पर ही आरोप लगने लग गये।