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विलुप्त होते “रामलीला मंचन” को आज भी, प्रतिवर्ष बड़े धूमधाम से मनाते हैं: ग्रामीण।

वर्षों पूर्व प्रत्येक गांव में राम लीला, कृष्ण लीला एव अभिमन्यु चक्रव्यूह आदि अनेकों कार्यक्रमों का आयोजन समस्त गांव के ग्रामीण बड़े हर्षोल्लास से किया करते थे, और लोग भी रिश्ते-नाते, यारी-दोस्ती, सगे-संबंधी होने के नाते कार्यक्रम में प्रतिभाग करते थे जहां लीला कमेटी द्वारा बाहर से आये लोगों को सम्मानित भी किया जाता था। जिसमें गांव के युवाओं द्वारा विभिन्न किरदारों (राम, कृष्ण, अभिमन्यु, हनुमान, लक्ष्मण आदि) को निभाया जाता था, लेकिन अब यह सभी कार्यक्रम लगभग विलुप्त होने की कगार पर हैं।

लेकिन आज भी उत्तरकाशी जनपद के नौगांव विकासखंड के पौन्टी गांव के समस्त ग्रामीणों द्वारा आज भी इन कार्यक्रमों को जीवित रखा गया है और प्रति वर्ष यहां रामलीला का आयोजन किया जाता है।

ग्रामसभा पौन्टी के “माँ भद्रकाली मन्दिर प्रांगण” में 07 जून से 14 दिवसीय “रामलीला” का हुआ दीव्य-भव्य आयोजन शुरु हुआ है।

जिसका शुक्रवार रात को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधि-विधान पूर्वक पूजन किया गया। रात में मंत्रोच्चार व जयश्री राम के जयघोष के बीच ध्वज लगाया गया। कलश पूजन के साथ ही भगवान श्रीराम,गणेश जी .मां भद्रकाली. नाग देवता आदि देवी-देवताओं की पूजा और आरती की गई। रामलीला के प्रथम दिन कैलाश लीला की भव्य प्रस्तुतियां स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की गयी।

पौन्टी गांव में आयोजित रामलीला मंचन के द्वितीय दिन श्रवण कुमार लीला का शानदार आयोजन किया गया। जिसमें श्रवण कुमार अपने अंधे माता-पिता को तीर्थ यात्रा पर ले जाता है। यात्रा के दौरान राजा दशरथ श्रवण को मृग समझकर मार देते हैं। जिस पर श्रवण के माता-पिता राजा दशरथ को श्राप देते हैं। इसके अलावा कैलाश लीला का भी मंचन किया गया। लंकापति रावण भगवान शिव को तपस्या कर प्रसन्न करते हैं। रामलीला देखने के लिए आसपास के गांवों के ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंचे। यह रामलीला गढ़वाल की संस्कृति व परंपरा का एक मजबूत स्तंभ है।

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