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Big Breaking: बड़कोट पेयजल समस्या पर जागने लगे राजनेता व समाजसेवी, देखना होगा की जनता की पीड़ा में सब साथ होंगे या सेकेंगे राजनीति की रोटियाँ।

खबर का असर: बड़कोट नगर में पेयजल संकट पर न्यूज़ पहाड़ सन्देश की खबर का दिखने लगा असर, अब जनप्रतिनिधियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं में पेयजल संकट के समाधान की हलचल तेज हो गयी है। जिस प्रकार विभिन्न न्यूज़ पोर्टलों व अन्य खबरों में दिख रहा है की जो सामजिक कार्यकर्ता व जनप्रतिनिधि वर्षों से घोर निंद्रा में थे आज वह लोग जाग उठे हैं। जो की बड़कोट नगर वासियों के लिए एक अच्छी खबर है।


लेकिन क्या यह सब जनता के लिए समर्पण है या कुछ और….? यह प्रश्न आम नागरिक को सोचने पर विवश कर रहा है।

यदि यह जनता के प्रति समर्पण का भाव है तो यह सभी सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि व राजनितिक सरोकार रखने वाले सभी लोग अलग-अलग स्वर क्यों अलाप रहे हैं, यही जनता के मन में बड़ा प्रश्नचिन्ह पैदा कर रहा है। क्योंकि यदि इन सभी लोगों का जनता के लिए समर्पण है तो यह सब जनता की समस्याओं के लिए एक मंच पर क्यों नहीं दिख रहे हैं।

क्योंकि यदि यह सभी ताकतें एक मंच पर बैठती हैं और सकारात्मक रुप से जनता की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करते हैं तो कहीं ना कहीं स्थानीय प्रशासन भी इस समस्या को सुलझाने के लिए तत्काल, बेहतर व आसानी से कम समय में नतीजों की ओर कार्य करना प्रारम्भ कर देगा और बड़कोट नगर के आम-जनमानस को कम समय के भीतर ही पेयजल की सुविधा मिलने लगेगी।

“न्यूज़ पहाड़ सन्देश” टीम सदैव जनहित की खबरों के लिए अग्रसर है।
साथ ही इस खबर से यह भी स्पष्ट हो जाएगा की यह सभी जनप्रतिनिधि, सामजिक कार्यकर्ता व राजनीति से सरोकार रखने वाले सभी लोग जनता की समस्याओं के समाधान के लिए एक होकर स्थानीय प्रशासन को सहयोग में लेकर 24 से 48 घंटों के भीतर नगरवासियों को सूचारु पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराने का कार्य करते हैं या ठिक विपरीत जनता की समस्याओं की आड़ में अपनी राजनीति की रोटियों को सेकते हैं।

जनता समझदार है, और यदि लेटरपेड पर लिखने से समस्या हल हो सकती थी तो आज तक इतने वर्षों से क्यों जनता की सुध नहीं ली।


यह खबर प्रकाशित करने का मुख्य उद्देश्य यह है की वर्तमान में इतनी शक्तियों का प्रयोग विभिन्न दिशाओं में और अलग-थलग होकर किया जा रहा है। यदि आप यही प्रयास एक होकर करें तो यह एक छोटी समस्या है जिसे कभी वास्तव में खत्म करने का प्रयास ही नहीं किया गया। यदि किया गया होता तो माँ यमुना के किनारे बसा यह नगर पेयजल के लिए त्राहिमाम नहीं कर रहा होता। समय है की हमें अपनी राजनीति करने के तरीकों में बदलाव करना होगा और एक कुशल राजनेता बनना होगा।

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