आज का व्यंग्य :- रवांई क्षेत्र में भ्रष्टाचार की वजह से अधर में अटका है क्षेत्र का विकास।
दरअसल क्षेत्र की किसी समस्या को लेकर हम एक दफ्तर में पहुंचते हैं, और अधिकारी को समस्या से अवगत करवाते हैं। लेकिन दफ्तर में बैठे अधिकारी का दुखड़ा सुन हम खुद हैरान रह जाते हैं।
जिसमें एक ईमानदार अधिकारी बताते हैं कि, हम बेहतर कार्य करने की सोच लेकर रवांई क्षेत्र में आये थे लेकिन अब यहाँ के हालातों के देख किसी का फोन कॉल भी रिसीव करने का मन नहीं हो रहा है।
जब हम उनसे कारण जानने की कोशिश करते हैं तो वह बताते हैं कि वर्षों से एक ही जगह विभागों की कुर्सियों पर चिपके कुछ विभागीय लोगों के स्थानांतरण ना होने से,वह लोग “राजनैतिक संरक्षण” के चलते अधिकारियों की अनसुनी करते हैं।
जब अमुक अधिकारी से हम ठेकेदारों की लापरवाही और कार्यों की गुणवत्ता की बात करते हैं, तो उनके द्वारा बताया जाता है कि विभागों के ठेकेदारों के कार्यों की गुणवत्ता ठीक ना होने के कारण, जब हम इनका भुगतान रोकते हैं और कार्य की गुणवत्ता को सुधारने की बात कहते हैं, तो अधिकांश ठेकेदार माननीयों से फोन करवाते हैं और अपने रुके भुगतान के लिए दबाव बनाते हैं। जिनमें समाज के दर्पण बने कुछ “वरिष्ठ पत्रकार” भी सम्मिलित हैं।
इस पूरे व्यंग्य में उस अधिकारी का कहना है कि यह क्षेत्र तब तक विकास की गति नहीं पकड़ सकता, जब तक विभागों में वर्षों से जमे स्थानीय कर्मचारीयों का यहाँ से अन्यत्र तबादला नहीं किया गया।
यह “व्यंग्य लेख” हमारे पाठकों की “जागरूकता और मनोरंजन” के लिये लिखा गया है। इसका किसी भी कीरदार से कोई सम्बन्ध नहीं है।