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खुलासा: उत्तराखंड सरकार की योजनाएं वेतनभोगी व रसुखदारों के लिए बनी है या गरीब जनता के लिए।

"सूचना का अधिकार" के माध्यम से प्राप्त जानकारी से हुआ बड़ा खुलासा।

उत्तरकाशी जनपद के पुरोला नगर में आवासीय/हरियाली पट्टों के नाम पर वर्षों से बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है। जिसमें सरकारी कर्मचारीयों/अधिकारीयों से लेकर रसूखदार लोगों को रेवड़ियों की भाँती पट्टे आवंटित किये गये हैं।

आपको जानकर बड़ा खेद होगा की जो पट्टे गरीब लोगों व हरीयाली के नाम से पेड़-पोधे लगाने के लिए आवंटित होने थे। वही पट्टे निम्न लोगों को आवंटित किये गये जिनमें से रिटायर्ड तहसीलदार रहे कमलेश्वर प्रसाद व उनकी पत्नी कमला देवी जैसे अनेकों लोगों को आवंटित किये गये हैं।

जिसके सुरक्षात्मक कार्य के लिए लाखों रुपये प्रशासक कार्यकाल में नगर पंचायत पुरोला के बजट से खर्च किया जाता है।

यह सिलसिला यहीं नहीं रुकता बल्कि “लोक निर्माण विभाग” चिन्यालीसौड़ में कार्यरत्त “सहायक अभियंता” महेश कुमार व उनकी पत्नी शैलबाला व सास कमला देवी व पत्नी के भाई स्व. शान्ता कुमार को भी मिल जाता है जो की खंड विकास कार्यालय में किसी पद पर तैनात थे, सभी के नाम से पट्टे बनाये जाते हैं।

साथ ही विद्युत विभाग के कर्मचारी राजीव अग्रवाल उनके भाई संजीव अग्रवाल और माँ ईश्वरी देवी के नाम से भी पट्टे बनाये जाते हैं।

यह प्रक्रिया यहीं नहीं रूकती है बल्कि पुरोला की जानी-मानी हस्तियों के नाम भी इसमें सामने आ रहे हैं।

जिनमें पुरोला नगर ही नहीं बल्कि विकास पुरुष के नाम से जाने जाने वाले पर्वतीय विकास मंत्री बर्फीया लाल जुवांठा, उनकी पत्नी शान्ति जुवांठा व उनके पुत्र पूर्व विधायक राजेश जुवांठा सहित पूरे जुवांठा परिवार को रेवड़ियों की भाँती पट्टे बांटे गये।

साथ ही वर्तमान में पुरोला के जाने-माने व्यक्ति बलदेव रावत होटल “कमल गंगा टूरिस्ट लॉज”

व सोहन लाल, दिगंबर दत्त, राजेंद्र दत्त, रमेश दत्त, महेश्वरी देवी “होटल थपलियाल टूरिस्ट लॉज”,

इतना ही नहीं राजस्व विभाग में अपनी सेवा दे चुके चण्डी प्रसाद व उनकी पत्नी सुषमा देवी

व मंजरी देवी शास वर्तमान तहसीलदार मोरी,

शांति देवी पत्नी बृजमोहन रिटायर्ड तहसीलदार

सहित लोक निर्माण विभाग से रिटायर्ड सत्यप्रकाश जोशी

अनेकों रसूखदार लोग और उनके रिश्तेदारों के नाम से पट्टे बांटे गये हैं।

जो भ्रष्ट अधिकारी इन कार्यों में सम्मिलित होकर गरीब लोगों को मिलने वाले सरकारी लाभ को इस प्रकार बाँट रहे हों, भला उन्होंने जनता की क्या ही सेवा की होगी, आप खुद समझ सकते हो।

मजे की बात तो यह है की पुरोला तहसील को बने वर्षों हो गये और यहां सैकड़ों अधिकारी व कर्मचारी आये और गये, साथ ही अनेकों जनप्रतिनिधि जनता के द्वारा चुने गये हैं। लेकिन ऐसी हरकतों की वजह से ही आज तक पुरोला तहसील परिसर में पीने का पानी तक नहीं मिल पाता है और महिलाओं को शौच के लिए एक शौचालय तक नहीं है। लेकिन सरकार ने जनता की सेवा के लिए जिन अधिकारी और कर्मचारीयों को तैनात किया है यह सब उनके ही कारनामों की देन है की गरीब जनता के अधिकारों पर रसूखदार लोग कुंडली मारकर बैठे हैं।

आप बने रहे “पहाड़ सन्देश न्यूज नेटवर्क” के साथ इस प्रकरण में अभी और बड़े-बडे़ नामों के खुलासे होना बाकी है जिनकी सम्पूर्ण जानकारी मिलने के बाद उजागर किया जायेगा।

आखिर कब तक यह सब चलता रहेगा ?

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