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मिट्टी से लिखी जा रही है, आराकोट बंगांण में विकास की गाथा, अधिशासी अभियन्ता को नहीं दिखी कोई खामी।

पुरोला विधानसभा के जनप्रतिनिधियों की साझेदारी और विभागीय अधिकारियों की मिली-भगत से मिट्टी से लिखी जा रही है, आराकोट बंगांण में विकास की गाथा।


उत्तरकाशी जनपद में सुदूरवर्ती विकासखंड मोरी के दुरस्त क्षेत्र आरकोट बंगांण में वर्ष 2019 में एक भीषण आपदा आयी थी। जिसमें स्थानीय लोगों की सेब की फसल और कई नाली कृषि भूमि बाढ़ की भेंट चढ़ जाती है। इस भीषण त्रासदी से स्थानीय लोगों को सुविधाओं से जोड़ने वाली सड़कें, खेतों कि सिंचाई नहरें, सड़को के पुल, सेब के बगीचे आदि अनेकों नुकसान झेलने पड़ जाते हैं।

सरकार इस आपदा से हुए नुकसान के पुनर्निर्माण के लिए करोड़ों रुपये क्षेत्र हित में स्वीकृत करती है।
लेकिन विभागों एवं ठेकेदारों से विभागीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से नदियों में जेसीबी मशीन से खनन कर, सीधे मिट्टी के साथ ना मात्र सीमेंट मिलाकर सुरक्षात्मक कार्य हेतु ब्लोगों का निर्माण कार्य हो रहा है।


साथ ही सड़कों की दीवारों का कार्य मानकों के विपरीत मन माफिक ढंग से और मिट्टी वाले रेत से तैयार कीया जा रहा है। जो की आपदा को एक बड़ा न्योता है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि विभागों की मिली-भगत होने के साथ ही कमीशनखोरी व जनप्रतिनिधियों की साझेदारी से निर्माण कार्यों में मिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है। साथ ही नदी में अवैध खनन किया जा रहा है। जिस वजह से आने वाले समय में और भी विनाशकारी आपदा आना तय है। जिसके भय को देखते हुए स्थानीय लोगों ने सरकार से उक्त कार्यों कि एस आई टी जांच कि मांग की है।

अधिशासी अभियन्ता सिंचाई विभाग पुरोला का कहना है कि आरकोट क्षेत्र में कोई खनन नहीं हो रहा है और जो रेत उपयोग हो रही है वह ठेकेदार द्वारा विभिन्न क्रेशरों से लायी जा रही है। उपयोग हो रही रेत का शेम्पल भी लेकर आये हैं, और नदियों में खनन नहीं सड़क बनाने का भी कार्य हो रहा है।

अब समझ यह नहीं आ रहा है कि सिंचाई विभाग को सड़कें बनाने का कार्य कब से कर रहा है, और किसके द्वारा नदियों में सड़क बनाने की मंजूरी दी जा रही है।

अभी सम्बन्धित क्षेत्र के राजस्व उप निरीक्षक से सम्पर्क नहीं हो पा रहा है।

 

 

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