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21वीं सदी में भी बिना सड़क के आदिवासी जीवन जीने को मजबूर रवांई/यमुना घाटी के दर्जनों गांव।

यमुनोत्री विधानसभा के खनेडा गांव के ग्रामीणों ने निर्णय लिया कि गांव में रोड नही तो वोट नहीं।

21वीं सदी में भी पुरोला व यमुनोत्री विधानसभा के दर्जनों गांव सड़क से वंचित हैं। जिस वजह से आज भी वह ग्रामीण विभिन्न समस्याओं का सामना कर, आदिवासी जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं।

जिसमें आज भी पुरोला विकासखंड के कामरा, मटियालोड, सांखाल, सुराणु शेरी, गोठुका, दौणी, सिकारु सहित मोरी विकासखंड के अनेकों गांवों के ग्रामीण आज भी सड़क ना होने की वजह से अपने सुख-दुख की स्थिति में विभिन्न समस्याओं से जुझ रहे हैं।

दूसरी ओर यमुनोत्री विधानसभा के खनेड़ा, नकोड़ा कपोला, कुठार और बाडिया आदि गांव आज भी सड़क से वंचित हैं।

सड़क ना होने वजह से अब गांवों के लोग धीरे-धीरे पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं, ग्रामीणों का कहना है कि, हमारे गांव में यदि किसी का स्वास्थ्य खराब हो जाये या कोई गर्भवती महिला को अस्पताल तक लाना पड़ेगा तो सबसे पहले हमें डंडी-कंडी पर लोगों की मदद से हम सड़क तक पहुंचते हैं। कभी तो सड़क तक पहुंचने से पहले ही कुछ लोग दम तोड़ देते हैं।

ग्रामीण बताते हैं कि और तो छोड़िये सरकार द्वारा मिलने वाला सस्ते गल्ले का राशन भी हमें बहुत महंगा पड़ रहा है। यदि हमें कोई सामग्री बाजार से खरीदनी पड़े तो वह हमारे घरों तक दोगुनी कीमत में पहुंचती है।

हाल ही में अभी कुछ दिन पहले यमुनोत्री विधानसभा के खनेड़ा गांव के ग्रामीणों ने पंचायत बुलाई जिसमें ग्रामीणों ने निर्णय लिया कि गांव में रोड नही तो वोट नहीं।

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