जवाहर नवोदय विद्यालय धुनगिरी पुरोला में लापरवाही: छात्रों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा
उत्तरकाशी जिले के प्रतिष्ठित जवाहर नवोदय विद्यालय धुनगिरी पुरोला में विद्यालय प्रबंधन की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। हाल ही में यह देखा गया कि विद्यालय के छात्र रात के समय कैंपस से बाहर घूम रहे हैं, जबकि विद्यालय प्रशासन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। यह केवल अनुशासनहीनता का मामला नहीं, बल्कि छात्रों की सुरक्षा से खिलवाड़ है, जिसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
विद्यालय प्रशासन की गंभीर लापरवाही
यह पहली बार नहीं है जब विद्यालय प्रबंधन की ऐसी लापरवाही सामने आई हो। इससे पहले भी इस विद्यालय में सुरक्षा और अनुशासन से जुड़े मामलों में अनदेखी देखने को मिली है। सवाल यह उठता है कि अगर कोई बड़ी अनहोनी हो जाती है, तो इसकी जवाबदेही किसकी होगी? छात्रों के माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर भविष्य और सुरक्षित वातावरण की उम्मीद में नवोदय विद्यालय भेजते हैं, लेकिन अगर यह लापरवाही जारी रही, तो समाज और अभिभावकों का इस विद्यालय से भरोसा उठ जाएगा।
क्या हो सकते हैं संभावित खतरे?
- रात में छात्रों का कैंपस से बाहर जाना दुर्घटनाओं, अपराधिक घटनाओं या अन्य खतरनाक परिस्थितियों को जन्म दे सकता है।
- अनुशासनहीनता और गलत आदतों के बढ़ने का खतरा रहता है, जिससे विद्यालय की छवि खराब हो सकती है।
- यदि कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसका सीधा असर विद्यालय की प्रतिष्ठा और नवोदय विद्यालय समिति की साख पर पड़ेगा।
समाधान और आवश्यक कदम
- विद्यालय प्रबंधन को तत्काल प्रभाव से सुरक्षा उपायों को सख्त करना चाहिए।
- छात्रों की उपस्थिति और गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जाए।
- विद्यालय के मुख्य द्वार और बाहरी क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरों की निगरानी बढ़ाई जाए।
- गार्ड और शिक्षकों की गश्त को प्रभावी बनाया जाए ताकि कोई भी छात्र बिना अनुमति के बाहर न जा सके।
- इस मामले की जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए और अभिभावकों को उचित जानकारी दी जाए।
जवाहर नवोदय विद्यालयों की प्रतिष्ठा अनुशासन और गुणवत्ता पर टिकी हुई है। यदि धुनगिरि पुरोला विद्यालय में ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आती हैं, तो यह पूरे नवोदय विद्यालय प्रणाली के लिए शर्मनाक होगा। विद्यालय प्रशासन को तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने होंगे, अन्यथा अभिभावकों और समाज का विश्वास खोने में देर नहीं लगेगी।
जवाहर नवोदय विद्यालय धुनगिरी पुरोला: क्या लापरवाही पर प्रधानाचार्य की चुप्पी बढ़ा रही है चिंता?
उत्तरकाशी जिले के प्रतिष्ठित जवाहर नवोदय विद्यालय धुनगिरी पुरोला में इन दिनों सुरक्षा और अनुशासन को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। हाल ही में सामने आए एक मामले ने विद्यालय प्रबंधन की कार्यशैली पर उंगलियां उठानी शुरू कर दी हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विद्यालय के कुछ छात्र रात के समय परिसर से बाहर घूमते हुए देखे गए, जो सुरक्षा व्यवस्था की सीधी अनदेखी का मामला है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि जब इस विषय में विद्यालय के प्रधानाचार्य से संपर्क कर उनकी प्रतिक्रिया लेनी चाही गई, तो उन्होंने कोई भी जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार प्रधानाचार्य किस बात की चुप्पी साधे हुए हैं? क्या वे किसी लापरवाही को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, या फिर खुद को जिम्मेदारी से बचा रहे हैं?
पहले भी सामने आ चुके हैं लापरवाही के मामले
यह पहली बार नहीं है जब नवोदय विद्यालय धुनगिरि पुरोला में इस तरह की लापरवाही देखी गई हो। पूर्व में भी सुरक्षा और अनुशासन से जुड़े मामलों को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी विद्यालय प्रबंधन की चुप्पी चिंता को और बढ़ा रही है।
जब सुरक्षा जैसे गंभीर विषय पर जिम्मेदार अधिकारी जवाब देने से बचते हैं, तो आशंका स्वाभाविक है कि कहीं भीतरखाने कुछ गलत तो नहीं हो रहा?
- अभिभावकों में बढ़ रही नाराजगी
- इस पूरे घटनाक्रम के बाद विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों के बीच भी गहरी नाराजगी देखी जा रही है। वे अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और विद्यालय प्रशासन के रवैये से बेहद असंतुष्ट नजर आ रहे हैं।
- अभिभावकों का मानना है कि यदि समय रहते इस पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो न केवल बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है, बल्कि नवोदय विद्यालय की प्रतिष्ठा पर भी आंच आ सकती है।
अब अहम सवाल यह हैं:
- क्या विद्यालय प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?
- छात्रों की सुरक्षा को लेकर इतना ढुलमुल रवैया क्यों अपनाया जा रहा है?
- यदि कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
- क्या उच्चाधिकारी इस मामले में दखल देंगे?
SDM ने दिया कार्रवाई का भरोसा
इस मामले को लेकर जब उपजिलाधिकारी पुरोला गोपाल सिंह चौहान से बात की गई, तो उन्होंने आश्वासन दिया कि वे इस विषय में विद्यालय प्रबंधन से वार्ता कर आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी
- यह केवल विद्यालय प्रशासन ही नहीं, बल्कि समाज और स्थानीय प्रशासन की भी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे मामलों को नजरअंदाज न करें। छात्रों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, और इसके लिए सभी संबंधित पक्षों को जागरूक और जिम्मेदार बनना पड़ेगा।