भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स 19 मार्च को लौटेंगी पृथ्वी पर, 9 महीने बाद पूरा होगा अंतरिक्ष मिशन

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) की जानी-मानी भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बुच विल्मोर 19 मार्च 2025 को नौ महीने के लंबे मिशन के बाद पृथ्वी पर लौटने वाले हैं। यह मिशन अपने आप में अनूठा है क्योंकि इसे मूल रूप से केवल 8 दिनों के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण यह 9 महीनों तक खिंच गया। इस देरी के पीछे बोइंग कंपनी के नए स्टारलाइनर कैप्सूल में आई खामियां थीं, जिसने उनकी वापसी को लगातार टाल दिया।
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कैसे शुरू हुआ मिशन?
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर जून 2024 में बोइंग स्टारलाइनर कैप्सूल के जरिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुंचे थे। इस मिशन का उद्देश्य स्टारलाइनर कैप्सूल का पहला मानवयुक्त परीक्षण करना था, लेकिन अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद इस कैप्सूल में तकनीकी गड़बड़ियां सामने आईं।
इस वजह से मिशन केवल कुछ दिनों का न रहकर 9 महीनों तक लंबा खिंच गया। इसके चलते सुनीता और बुच को ISS पर अनिश्चित काल तक रहना पड़ा, जब तक कि उनकी वापसी के लिए उपयुक्त व्यवस्था नहीं हो गई।
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वापसी की तैयारियां
अब नासा और स्पेसएक्स ने मिलकर क्रू-10 मिशन लॉन्च किया है, जो ISS पर नई टीम को भेजेगा।
14 मार्च 2025 को फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए क्रू ड्रैगन कैप्सूल लॉन्च किया गया।
इसमें नासा की ऐनी मैकलेन और निकोल एयर्स, जापान की ताकुया ओनिशी और रूस के किरिल पेसकोव शामिल हैं।
ये चारों अंतरिक्ष यात्री ISS पहुंचेंगे और वहां मौजूदा टीम की जगह लेंगे।
इसके बाद, सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बुच विल्मोर 19 मार्च को पृथ्वी की ओर लौटने के लिए तैयार होंगे।
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सुनीता विलियम्स की चुनौतीपूर्ण वापसी
लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी (भारहीनता) में रहने के कारण शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं। इससे हड्डियों की मजबूती कमजोर हो सकती है और मांसपेशियां सिकुड़ सकती हैं। इसलिए पृथ्वी पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को पुनः अनुकूलन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
सुनीता विलियम्स ने अपनी वापसी को लेकर कहा—
“मैं याद करने की कोशिश कर रही हूँ कि कैसे चलना है, मैं कितने समय से नहीं चली हूँ, मैं कितने समय से नहीं बैठी हूँ, मैं कितने समय से नहीं लेटी हूँ।”
उनका यह बयान दर्शाता है कि 9 महीनों तक अंतरिक्ष में रहना कितना चुनौतीपूर्ण था और पृथ्वी पर लौटने के बाद खुद को दोबारा सामान्य स्थिति में लाने के लिए उन्हें कितना संघर्ष करना पड़ेगा।
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क्यों महत्वपूर्ण है यह मिशन?
1. बोइंग स्टारलाइनर की तकनीकी खामियां – यह घटना बोइंग के लिए एक बड़ा झटका रही, क्योंकि उनका स्टारलाइनर कैप्सूल इस मिशन के जरिए अपनी विश्वसनीयता साबित करने वाला था।
2. मानव शरीर पर प्रभाव – इस मिशन से वैज्ञानिकों को यह जानने में मदद मिलेगी कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद शरीर कैसे प्रतिक्रिया करता है।
3. भविष्य के मिशन पर असर – यह अनुभव चंद्रमा और मंगल मिशनों के लिए भी उपयोगी होगा, जहां अंतरिक्ष यात्रियों को लंबी अवधि तक माइक्रोग्रैविटी में रहना पड़ सकता है।
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर के लिए यह मिशन बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। केवल 8 दिनों का मिशन 9 महीने लंबा हो जाना न केवल तकनीकी स्तर पर, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्तर पर भी कठिन साबित हुआ। 19 मार्च को जब वे पृथ्वी पर लौटेंगे, तो यह न केवल उनके परिवार के लिए खुशी का पल होगा, बल्कि पूरे विज्ञान जगत के लिए एक महत्वपूर्ण घटना होगी।
इस मिशन से मिले अनुभवों से नासा को भविष्य में लंबे अंतरिक्ष मिशनों की बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी।