उत्तराखंड राज्य की पहली विधानसभा पुरोला, जिसके अंतर्गत तीन विकासखंड आते हैं।
तीनों विकासखंडों में सबसे दुरस्त विकासखंड मोरी है, जहां का आम जनमानस आज भी अपनी मुलभूत सुविधाओं से वंचित है।
मोरी विकासखंड का नेटवाड़, सांकरी क्षेत्र बगवानी के साथ पर्यटन क्षेत्र भी है जहां देश-विदेशों से पर्यटक फूलों की घाटी हरकीदून, केदारकांठा, पुष्टाहार बुग्याल व सरुताल तक घूमने आते हैं। लेकिन सड़कों की ये खस्ताहाल स्थिति से पर्यटकों को भी हिचकोले खाते विभिन्न समस्याओं से जुझते सांकरी तक पहुंचते हैं।
राज्य व केंद्र की भाजपा सरकार ने सैकड़ों जन-कल्याणकारी योजनाएं आमजनता के लिए संचालित की हैं। जिसमें “जल जीवन मीशन” केंद्र की मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट हैं।
मजे की बात तो यह है की पुरोला विधानसभा के मोरी विकासखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क जैसी मुलभूत सुविधाएं दम तोड़ रही है। जिस वजह से स्थानीय लोग समय-समय पर अपनी समस्याओं के बारे में विभिन्न माध्यमों से लिखते रहते हैं, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं।
फिलहाल हम बात थे विकासखंड मोरी में जल जीवन मिशन में हुए बड़े भ्रष्टाचार की।
उत्तरकाशी जनपद के मोरी विकासखंड में जल जीवन मीशन की बदहाल स्थिति की वजह से विकासखंड के लगभग 60% गांवों में जल जीवन मिशन की करोड़ों के लागत की डिपीआर (Detail project report) के आधार पर सरकार से स्वीकृति तो मिल गयी, लेकिन धरातल के हालात और स्थानीय ग्रामीणों की पीड़ा सुनकर आप हैरान रह जाओगे।
विकासखंड के लगभग सभी गावों की “जल जीवन मीशन” में “पेय जल निगम” उत्तरकाशी व “जल संस्थान” पुरोला द्वारा तैयार डिपीआर को सरकार द्वारा स्वीकृति तो मिल गयी लेकिन धरातल पर डीपीआर के आधार पर पेयजल लाइनों के कार्य नहीं हुए।
डीपीआर पर ऐसी भी योजनाएं दर्शायी गयी हैं जहां किलोमीटर लम्बी पेयजल योजना दिखायी गयी है लेकिन धरातल पर विभागीय अधिकारियों/कर्मचारीयों के साथ ठेकेदार की मिली-भगत से मिलों लम्बी पेयजल योजना को आधे से भी कम कार्य कर इतिश्री कर दिया गया है।
लेकिन इतनी खबरें चलने के बाद भी जनता द्वारा चुनें “गरीब के बेटे” को जनता की पीड़ा नहीं दिख रही है।सूत्रों की माने तो इन पेयजल योजनाओं का कार्य करने वाले अधिकांश ठेकेदार विधानसभा के जनप्रतिनिधि के खास लोगों में हैं।
जब अधिकारियों/कर्मचारीयों की बात करें तो आप सभी जानते हैं की पुरोला विधानसभा के जिस अधिकारीयों/कर्मचारीयों ने नेता जी की नहीं सुनी तो उन्हे चलता करने के लिए हर सम्भव प्रयत्न जैसे धरना तक कर बैठते हैं।
अब प्रश्नचिह्न यहां खड़ा होता कि जब अधिकारी आपके हिसाब से हैं, तो इतना बड़ा भ्रष्टाचार कैसे?
यदि प्रधानमंत्री मोदी के “जल जीवन मिशन” जैसे ड्रीम प्रोजेक्ट में इतना बड़ा गोलमाल है, वह भी खुद के घर (विकासखंड) में, उसके बावजूद शान्त बैठना, सवाल तो उठता है।
आप सभी पाठकों को याद होगा कि जब उत्तरकाशी जनपद के “जरमोला उद्यान” में हुये भ्रष्टाचार पर उद्यान निदेशक बबेजा के खिलाफ जिस तरह आवाज उठी थी उस वक्त विधानसभा के लोगों की उम्मीदें जागने लगी थी।
लेकिन आज जन-प्रतिनिधियों की चुप्पी की वजह से विकासखंड की खस्ताहाल सड़कों, जल जीवन मीशन के इन हालतों सहित अनेकों अव्यवस्थाओं को लेकर मोरी विकासखंड के लोग सवाल पूछ रहे हैं।