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पुरोला विधानसभा में बहती विकास की गंगा में ग्रामीण जान जोखिम में डाल आवा-जाही को मजबूर।

आखिर यह कैसा विकास जहां एक वर्ष से ग्रामीणों की लिए नहीं हो पा रही कोई वैकल्पिक व्यवस्था।

जहां एक ओर हमारी राज्य व केंद्र की भाजपा सरकार “सबका साथ, सबका विकास” का नारा देती है तो वहीं दूसरी ओर ये तस्वीरें उस साथ और विकास की पोल खोल रही हैं, जहां एक वर्ष से पूर्व आयी आपदा के बाद आज तक तात्कालिक जिलाधिकारी के आदेशों के बाद भी ग्रामीणों को आवागमन के लिए कोई वैकल्पिक सुविधा तक उपलब्ध नहीं हो पायी।

आखिर ये कैसा विकास है ?

उत्तरकाशी जनपद के पुरोला विधानसभा के पुरोला व नौगांव विकासखंड के बीच लगे तलडा गांव के ग्रामीण जान जोखिम में डालकर उफनती कमल गंगा नदी को पार करने को मजबुर हैं।

 

वर्ष 2023 में 21 जुलाई को आयी भीषण आपदा से पुरोला नगर सहित बहुत से गांवों के ग्रामीणों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था। उसी त्रासदी की भेंट ग्रामीणों का तहसील मुख्यालयों से सम्पर्क जोड़ने वाली पुलिया भी चढ़ गयी थी। 

जिस सम्बन्ध में तात्कालीन जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला के द्वारा “लोक निर्माण विभाग” पुरोला को उक्त पुलिया का आगणन गठित कर शीघ्र शासन भेज उक्त स्थान पर ग्रामीणों की सुविधा के लिए वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था के आदेश दिए थे। 

जिसमें की लोक निर्माण विभाग द्वारा सम्बन्धित पुल का आगणन गठित कर शासन को महीनों पूर्व भेज दिया गया है।

जिस सम्बन्ध में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियन्ता द्वारा यह जानकारी दी गयी थी की यह हमारे विभाग की परी-सम्पति नहीं है, यह जिला पंचायत की सम्पति है जिसके रख-रखाब की जिम्मेदारी सम्बन्धित विभाग की है।

जिसके बाद ग्रामीणों के अनुरोध पर ग्राउंड जीरो से “न्यूज पहाड़ सन्देश” के फेसबुक पेज के माध्यम से ग्रामीणों की पीड़ा शासन-प्रशासन के समक्ष रखने के साथ ही उप जिलाधिकारी पुरोला से भी उक्त सम्बंध में जानकारी ली गयी थी। लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा उक्त प्रकरण पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया।

अंततः ग्रामीणों द्वारा श्रमदान कर सबकी समस्याओं को देखते हुए जैसे-तैसे एक लकड़ी के पुल का निर्माण किया गया। लेकिन वह पुल भी बरसात के चलते नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी के आघोष में समा गया।

जिस वजह से गांव के ग्रामीण बिमार व गर्भवती महिलाओं को पीठ में उठाकर जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं।

लेकिन पुरोला विधानसभा में विकास की गंगा बहाने वाले राजनैतिक लोगों व जनप्रतिनिधियों ने आतिथि तक उस फाइल को स्वीकृति नहीं दिलवा पाये।

इस पूरे घटनाक्रम के सम्बन्ध में तलडा़ गांव के युवा शुशील चमोली का कहना है की हमारे जनप्रतिनिधियों की उदासीनता व अनदेखी की वजह से पिछले एक वर्ष से हमारे गांव के लोगों के लिए वैकल्पिक पुल की व्यवस्था ना होने की वजह से छोटे-छोटे स्कूली बच्चों व स्थानीय ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर आवा-जाही करनी पड़ रही है। 

वह बताते हैं की इस प्रकार की अनदेखी की वजह से ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है सभी ग्रामीण जल्द पुरोला तहसील परिसर में जुलूस लेकर शासन-प्रशासन व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे

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