“उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग” की अध्यक्षा डा. गीता खन्ना व आयोग के सदस्य विनोद कपरवाण द्वारा जनपद देहरादून के विभिन्न सरकारी एंव गैर-सरकारी विद्यालय व सरकारी अस्पताल के औचक निरीक्षण की प्रक्रिया गतिमान है।
जिसके क्रम में दिनांक 30 अप्रैल को सैंट मेरी स्कूल, विकासनगर, देहरादून के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों के आधार पर औचक निरीक्षण किया गया। स्कूल के गेट पर गार्ड उपस्थित न होने पर आयोग की निरीक्षण टीम सीधे विद्यालय में प्रवेश कर गई। विद्यालय में प्रवेश करते ही एक कक्ष में एक बालक बिमार अवस्था पर दिखाई दिया, बातचीत पर संज्ञान में आया कि बालक का स्वास्थ्य ठीक नहींं है तथा शिक्षक द्वारा वहां विश्राम करने हेतु कहा गया है।
प्रधानाचार्य द्वारा अवगत कराया गया कि विद्यालय की देख-रेख टीम द्वारा चिकित्सकीय उपचार प्रदान किया जाता है, जो आज अवकाश पर है। किन्तु जांच में इस प्रकार की कोई व्यवस्था तथा प्रथम चिकित्सकीय उपचार की सुचारू व्यवस्था भी नजर नही आई।
विद्यालय में बच्चों के बस्ते का वजन मानकों से अधिक पाया गया तथा किताबें जमीन पर पडी हुई दिखी। बच्चों से बातचीत में संज्ञान में आया कि बच्चों को प्रातः राष्ट्रीय गान नहीं कराया जाता है। विद्यालय में जगह जगह सेंट मेरी के चित्र लगे हुये दिखे, जिस पर प्रधानाचार्य द्वारा अवगत कराया गया कि विद्यालय का नाम सेंट मेरी है, जिस कारण सभी स्थानों पर मदर मेरी का छायाचित्र लगा हुआ है।
अध्यक्ष महोदया द्वारा विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रातः की प्रार्थना सभा में बच्चों को देश व समाज के प्रति जागरूक करने वाले प्रार्थनाओें को सम्मिलित करने तथा सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाये जाने हेतु निर्देशित किया गया।
अध्यक्षा द्वारा विद्यालय में लगी शिकायत पेटी को खोले जाने के निर्देश पर प्रधानाचार्य द्वारा अवगत कराया गया कि इसकी चाबी पुलिस के रक्षण में रहती है, जो कि पुलिस द्वारा नकारा गया तथा एक चाबी विद्यालय पर भी होनी बतायी गई। चाबी न मिलने की दशा में मा0 अध्यक्ष द्वारा शिकायत पेटी को तोडने के निर्देश दिये गये, जिसमें वर्ष 2019 से प्रेषित की गई लगभग 20 शिकायते प्राप्त हुई, जिसमें एक शिकायत पर विद्यालय के शिक्षक पर ही यौन शोषण के आरोप लगाये गये थे। जिनपर विद्यालय स्तर से कोई कार्यवाही अमल में नही लायी गई, जिसपर अध्यक्षा महोदया द्वारा गहरा रोष व्यक्त करते हुये शिक्षा विभाग व पुलिस विभाग को जांच के आदेश दिये गये।
विद्यालय में लगभग 3000 छात्र छात्राओं के अध्ययनरत होेने पर भी शौचालयों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी तथा जगह-जगह पर कुडा-कचरा पडा दिखाई दिया। इस क्रम में मा0 अध्यक्षा द्वारा मुख्य शिक्षा अधिकारी व खण्ड शिक्षा अधिकारी को विद्यालय के समस्त दस्तावेजों की जांच कर आयोग को जांच आख्या उपलब्ध कराये जाने हेतु निर्देशित किया गया।
उक्त के अतिरिक्त अध्यक्षा महोदया व आयोग के सदस्य विनोद कपरवाण द्वारा राजकीय प्राथमिक विद्यालय, जीवनगढ, विकासनगर, देहरादून का औचक निरीक्षण किया गया। जब आयोग की टीम वहां पहुंची तो विद्यालय की छुट्टी हो चुकी थी।