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“ओलावृष्टि” की मार से किसानों पर मंडरा रहा रोजी-रोटी व बैंक ऋण चुकाने का संकट।

उत्तरकाशी जनपद के रवांई/यमुना घाटी में आए दिन मौसम की मार से काश्तकारों का खेती-बाड़ी, बागवानी/कृषि से मोह खत्म होता नजर आ रहा है।

विगत कुछ सप्ताह से मौसम की बैरुखी की वजह से रवांई घाटी के विभिन्न क्षेत्रों में ओलावृष्टि से जहां एक ओर किसानों की नगदी फसलें बर्बाद हुई हैं तो वहीं दूसरी तरफ बागवानों की उम्मीदें भी खत्म हो गयी।

नौगांव विकासखंड के मुंगरसंती पट्टी के बिंगसी, किमी, मटेली, नैणी, कोटियाल गांव, सेवरी, क्वाडी, पलेठा, खांसी, बगासू, नौगांव, मुलाना, धारी, कफनोल, हिमरोल, दारसों, तीयां, बजलाडी और बनाल पट्टी के कांडा, गडोली, ईड़क, पुजेली, गुलाड़ी के किसानों को ओलावृष्टि की मार झेलनी पड़ी।

जिसको लेकर बिंगसी गांव के बलदेव चौहान, बलबीर सिंह राणा, मण्डल सिंह चौहान, बहतर सिंह, अनित राणा, मनवीर सिंह, मंगल सिंह, फकीर चौहान, विनोद, साधुराम आदि किसानों का कहना है की ओलावृष्टि की वजह से किसानों की गेंहू, मटर, टमाटर,साग-सब्जियों सहित विभिन्न प्रकार की तैयार व आज-कल में लगायी गयी नगदी फसलों के साथ ही बागवानों की पुरे सीजन की मेहनत व हजारों रुपये की दवाइयों के साथ पुरी मेहनत ओलावृष्टि के चलते पानी में धूल गयी है,और अब किसानों को एक ओर अपनी रोजी-रोटी का संकट सता रही है तो दूसरी ओर बैंको से लिए ऋण की चिंता।

 

काश्तकारों ने स्थानीय प्रशासन से नुकसान का मुआयना कर उचित मुआवजे की गुहार लगाई है।

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