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दल-बदल के चक्रव्यूह में उलझी भाजपा, उप चुनाव में हाथ से गयी दो विधानसभा, कॉंग्रेस ने मारी बाजी।

उत्तराखंड राज्य की दो विधानसभा सीटों पर हुये उप चुनाव में भाजपा सरकार को जनता ने ट्रेलर दे दिया है। भाजपा के दल बदल वाले चक्रव्यूह में भाजपा स्वयं फंस के रह गयी, जिसकी शुरुआत बद्री विशाल भगवान के दर बद्रीनाथ विधानसभा से हो गई है। 

इससे तानाशाह नेताओं, नेताओं के कुछ पिछलग्गू लोगों व सरकार को सबक लेने की आवश्यकता है। उम्मीद है कि‌ भविष्य में इस तहर की गलती राजनीतिक दल और जनप्रतिनिधि नहीं करेंगे, अन्यथा भाजपा और भाजपा प्रत्याशीयों को जैसे बद्रीनाथ व मंगलौर की जनता ने चारों खाने चित्त किया है, उसी प्रकार पार्टी और जनता के साथ धोखा करने वाले चुने हुये जनप्रतिनिधियों को जनता सबक सिखाते रहेगी। जिससे कोई भी जनप्रतिनिधि कभी आम जन-मानस की अनदेखी करने का कदम नहीं उठाएंगे।

बद्रीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने मंगलौर में जीत हासिल कर ली है। मंगलौर में भाजपा को करारा झटका लगा है। भाजपा प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना तीसरे स्थान पर रहे। पहले से ही माना जा रहा था कि बाहरी प्रत्याशी को मैदान में उतारकर भाजपा ने बड़ी गलती कर दी है।

शनिवार को विधानसभा के उप चुनाव में बद्रीनाथ विधानसभा उप चुनाव के 14वें चरण की मतगणना के बाद कांग्रेस के लखपत बुटोला ने जीत दर्ज की है, कांग्रेस के लखपत बुटोला 5202 मतों से जीते हैं।

मंगलौर सीट के दसवें राउंड की समाप्ति के बाद कांग्रेस प्रत्याशी 449 मतों से जीत गए हैं।

गौरतलब है कि भाजपा के जनप्रतिनिधियों में इतना अहंकार आ गया है कि जिन विधायकों की जेब में चुनाव से पूर्व अपने आने-जाने का किराया व अपने प्रचार-प्रसार के दौरान जेब में नास्ते के लिए पैसे नहीं होते थे वह आज बड़े षड्यंत्रकारी बने हैं और वह कहते हैं कि जिस को भाजपा टिकट देगी जीत उसी की होगी।

यदि यही हरकतें रही तो 2027 में जनता इन्हें पुरी फिल्म दिखाने का भी मन बना रही है। जिसका आगाज उत्तराखण्ड की पहली विधानसभा पुरोला ही नहीं बल्कि गंगोत्री व यमुनोत्री विधानसभा की जनता लोकसभा चुनाव में कर चुकी है। दुसरा ट्रेलर निकाय चुनाव में भी दिखता नजर आ रहा है।

लेकिन फिलहाल दो विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली करारी हार ने यहां साबित कर दिया है कि यदि उत्तराखंड में चुनाव आज होता है तो भाजपा दस से बीस सीटों पर जीत दर्ज नहीं कर पायेगी।

लग तो यह रहा है की जो विरोध आम जनता के भीतर चारधाम यात्रा को लेकर सरकार के प्रति था। उनमें बद्रीनाथ धाम की जनता भी परेशान रही और सभी ने मिलकर वोट की चोट मारकर सबक सिखाया है।

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