
28 फरवरी 2025, राजेंद्र सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय बड़कोट, उत्तरकाशी में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर “विकसित भारत के संदर्भ में युवाओं में वैज्ञानिक सोच, नवाचार और जीवन कौशल शिक्षा के महत्व”को रेखांकित करने हेतु एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का शुभारंभ डॉ. बी. एल. थपलियाल के उद्घाटन वक्तव्य से हुआ, जिसमें उन्होंने युवाओं में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोणअपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि तर्कसंगत और विश्लेषणात्मक सोच ही किसी भी समाज की प्रगति की आधारशिला होती है।इसके उपरांत डॉ. रश्मि उनियाल ने विज्ञान के महत्व और समकालीन चुनौतियों पर चर्चा करते हुए बताया कि वैज्ञानिक सोच न केवल शोध और प्रौद्योगिकी में बल्कि हमारे रोजमर्रा के जीवन में भी अत्यंत आवश्यक है।
गोष्ठी में डॉ. पुष्पेन्द्र सेमवाल ने क्रिटिकल और रिसिप्रोकल थिंकिंग (आलोचनात्मक और परस्पर सोच) के महत्व को समझाते हुए बताया कि यह कौशल विद्यार्थियों को समस्याओं का समाधान खोजने और तार्किक निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।गोष्ठी के मुख्य आकर्षण के रूप में डॉ. अंजू भट्ट ने “जीवन कौशल शिक्षा के माध्यम से तनाव प्रबंधन” विषय पर गहन व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में युवाओं के समक्ष मानसिक दबाव, प्रतिस्पर्धा और व्यक्तिगत संघर्षों जैसी चुनौतियाँ बढ़ रही हैं।
इनसे निपटने के लिए वैज्ञानिक सोच और जीवन कौशल शिक्षा का अभ्यास अत्यंत आवश्यक है।उन्होंने बताया कि स्वयं की पहचान, समस्या समाधान, निर्णय-निर्माण, संचार कौशल, सहानुभूति और भावनात्मक संतुलन जैसे जीवन कौशल न केवल तनाव को कम करने में सहायक होते हैं, बल्कि व्यक्ति को अधिक उत्पादक और मानसिक रूप से सशक्त भी बनाते हैं।उन्होंने मनोवैज्ञानिक शोध और वैज्ञानिक तकनीकों के आधार पर पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से कुछ व्यावहारिक रणनीतियाँ भी प्रस्तुत कीं, जिनमें –
1.तर्कसंगत चिंतन (Rational Thinking): समस्या को तर्क और तथ्यों के आधार पर देखने से अनावश्यक चिंता कम होती है।
2. माइंडफुलनेस और ध्यान (Mindfulness & Meditation):मानसिक शांति और केंद्रित सोच विकसित करने में सहायक।
3. सकारात्मक संवाद (Positive Communication): तनाव के समय दूसरों से खुलकर बात करना तनाव को कम करता है।
4.समय प्रबंधन (Time Management): सही योजना बनाकर कार्य करने से मानसिक दबाव कम होता है।
5.शारीरिक गतिविधि और योग (Physical Activity & Yoga): वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है कि व्यायाम तनाव हार्मोन को कम करता है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
डॉ. भट्ट ने जोर देकर कहा कि तनाव केवल मानसिक समस्या नहीं है, बल्कि यह शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। अतः, इसे प्रबंधित करने के लिए वैज्ञानिक पद्धतियों और जीवन कौशल का अभ्यास आवश्यक है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे तनाव को अपने विकास की बाधा न बनने दें, बल्कि इसे सही दिशा में नियंत्रित कर अपनी क्षमता का अधिकतम उपयोग करें।
गोष्ठी के अध्यक्ष डॉ. जगदीश चंद्र रस्तोगी ने जलवायु परिवर्तन पर चर्चा करते हुए कहा कि वैज्ञानिक सोच और नवाचार के माध्यम से इस गंभीर चुनौती का समाधान निकाला जा सकता है। इस अवसर पर उपस्थित विद्यार्थियों और शिक्षकों ने विचार-विमर्श में सक्रिय भागीदारी निभाई। इस गोष्ठी ने न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने के लिए प्रेरित किया, बल्कि तनाव प्रबंधन और सकारात्मक मानसिकता विकसित करने के महत्वपूर्ण उपायों पर भी प्रकाश डाला।गोष्ठी में महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक एवं कर्मचारी स्टाफ उपस्थित रहा